चांदी की कटोरी में घुलवायो-२,
मंडवा ले दादी मेहंदी ल्यायो,
मान म्हारी मेहंदी रो रख जायो.........,
मेहंदी भरया हाथ थारा प्यारा घणा लागे,
सोवणी सी मेहंदी दादी म्हारे से मंडा ले
मंदुंगा दादी थारी मनचायो...........,
राचणी या मेहंदी दादी थारे मन भासी,
देख ले मंडाके घणी दाए ठाणे आसी,
कारीगरी मांडने की सिख आयो.........,
देख ले नमूना कई ल्यायो मै चुनकर ,
मावस की मावस थे छांटइयो एक-एककर ,
रास जैसी आवे दादी बतलायो ................,
मान्गसू न दादी थान्सू मेहंदी मन्दाई,
भक्ति रो मो़ल कोई नाही जग माही,
अपनों आशीष बस दे जायो..........
मंडवा ले दादी मेहंदी ल्यायो. !!
Saturday, May 22, 2010
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Jai Dadi Ki