राजघराणा भी करें, आकर जठै प्रणाम
धन्य धन्य राजस्थली , धन्य झुंझुनू धाम
दादी जी थारी ज्योत जगे , जिन धरती पे अविराम
राजेश्वरी ओ म्हारी माँ !!!
सर्व सुहागन मावडी , सज सोलह सिंणगार
झुंझुनू नगर में सज रह्यो , माँ थारो दरबार
थारै भवन में बाजे शंख नगारा, गूंजे जै जैकार
बागे्शवरी ओ म्हारी माँ !!
तेरह मंड सुहावणा , निरख्यां जी हरषाय
जो आवे तेरे द्वार पे, तेरो तन्नै चढाय
मैंदी मोली काजल टिकी सूं, दैली पूजर जाय
परमेश्वरी ओ म्हारी माँ !!
दछसुता बणकर सती, जलमी नगर हिसार
शारदा जी कोख नै, धन्य करी सतनार
कोई धन्य धन्य गुरसामल जी , कोई धन्य थारो परिवार
माहेश्वरी ओ म्हारी माँ !!
मंगलमय थारी चूनडी, लहर लहर लहराय
तनधन जी निज हाथ सूं, चुनड देई ओढाय
मोटी सेठाणी टाबरियाँ पर , सुख सुहाग बरसाय
पूणैश्वरी ओ म्हारी माँ !!
दुर्गा सप्तशती थारी , महिमा नित्य सुणाय
शक्ति स्वरूपा हे सती, करज्यो आय सहाय
थारो चारण बण राजेंद्र , युगां तक मंगल थारा गाय
दुर्गेश्वरी ओ म्हारी माँ !!
Friday, May 21, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
Jai Dadi Ki